सर्दियों में सूर्य बहुत देर से निकलता है और बहुत जल्दी डूब जाता है। इसलिए दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। आरम्भ में सर्दी कम होती है, परन्तु दिसम्बर-जनवरी के मास में सर्दी बहुत अधिक हो जाती है। दाँत से दाँत बजता है, शरीर में कम्पन आरम्भ हो जाता है। धूप न हो तो लोग कमरों के अन्दर आग जलाकर रजाई में पड़े रहते हैं। भारतवर्ष में लोग सर्दियों के मौसम में अधिक परिश्रम और काम-काज करते हैं। शिल्पकार और पेशेवर लोग रात को देर तक काम करते रहते हैं। खेलों के लिए यह ऋतु बड़ी उचित है। क्रिकेट, हॉकी, फुटवॉल और टेनिस आदि के मैच इसी मौसम में होते हैं। भूख खूब लगती है इसलिए जो कुछ खाओ हजम हो जाता है।
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