भारत में सबसे बुरी चीज जातीयता है। हम अपनी योग्यता पर सम्मान पाना नहीं चाहते। हम अपने पूर्वजों की योग्यता पर सम्मान पाना चाहते हैं। इसका परिणाम बहुत बुरा हुआ है। यहाँ सच्ची एकता होने नहीं पाती। प्रत्येक व्यक्ति दूसरी जातियों का छिपा हुआ शत्रु बन जाता है। कोई दूसरी जातियों का विश्वास-पात्र सेवक नहीं बन सकता। अतएव कोई भी पूर्ण रूप से जनप्रिय नहीं है। इसी से हमारी उन्नति नहीं हो रही है। इस जातीयता की भावना को दूर करना हमारा पहला कर्त्तव्य है।
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