वर्षाऋतु के समाप्त होते ही जाड़े का मौसम शुरू हो जाता है। इस मौसम में प्रकृति का रंग बदल जाता है। जाड़े के दिन छोटे होते हैं। कब दिन हुआ और कब शाम, इसका पता ही नहीं चलता। संध्या रात्रि की भूमिका है। किसान के कार्य व्यापार बन्द हो जाते हैं। वे खेतों से भागकर अपने-अपने घरों में चले जाते हैं। कारण: संध्याकालीन ठंडी हवा उन्हें सताने लगती है। धीरे-धीरे अँधेरा छाने लगता है और चारों ओर सन्नाटा फैल जाता है। ऐसा मालूम होता है जैसे गाँवों में आदमी ही न हो।
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