मेरा आपका सदा मतभेद रहा है। हम दोनों हरएक विषय को भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से देखते हैं। इस विषय पर भी मैंने आपसे बहुत विमर्श किया परन्तु आपको सहमत न कर सका। यथार्थतः आपके विचार बड़े कट्टर आदमियों के-से हैं। आप किसी विषय को दूसरी दृष्टि से नहीं देख सकते। आपसे तर्क करना बिलकुल निरर्थक है। आप शायद मुझसे सहमत होंगे कि आपके भाव गम्भीर होते हैं किन्तु उनमें तर्क लेशमात्र भी नहीं होता। में केवल अच्छे भावों से ही आकर्षित होनेवालों में नहीं। इसलिए आपसे आदर के साथ मतभेद रखना चाहता हूँ और जैसे आपके लिए मुझसे सहमत होना असम्भव है, उसी तरह मेरे लिए भी आपसे सहमत होना असम्भव है।
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